Sunday 23 July 2017

मैं (अहंकार) से कैसे बचें..

मार्गदर्शक चिंतन-

मै शब्द में बड़ी बिचित्रता है। सुबह से शाम तक आदमी कई बार मै मै करता है। इस मै के कारण ही बहुत सारी समस्याएं जन्म लेती है। आश्चर्य की बात यह है कि मै के कारण उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए आदमी फिर " मै " को प्रस्तुत करता है।
समस्त हिंसा और अशांति के मूल में " मै " ही है। जीवन बड़ा आनंदमय और उत्सवमय बन सकता है लेकिन यह अहंवाद उसमे सबसे बड़ी बाधा है। मै " के ज्यादा आश्रय से ह्रदय पाषाण जैसा हो जाता है। जबकि जीवन का वास्तविक सौंदर्य तो उदारता, विनम्रता, प्रेमशीलता और संवेदना में ही खिलता है।
मै माने स्वयं में बंद हो जाना, पिंजड़े में कैद हो जाना, आकाश की अनंतता से बंचित रह जाना। एक बात बिलकुल समझ लेना " मै " की मुक्ति में ही तुम्हारी समस्याओं की मुक्ति है।
साहव जो बात "हम" में है,वो ना तुम में है ना मुझ में है॥

No comments:

Post a Comment