Thursday 13 July 2017

जानिए कैसे होते हैं भगवान के दर्शन..

मार्गदर्शक चिंतन-

भगवान् नहीं ह्रदय में पहले भाव आता है। भाव आ जाएगा तो भगवान् को आते देर ना लगेगी। भाव से ही भव बंधन कटते हैं। भाव से भव सागर पार होता है। पदार्थ को नहीं भक्त के भाव को ठाकुर जी ग्रहण करते हैं।
भाव भगवान् की कृपा से प्रगट होता है या सत्संग और संतों की कृपा से प्रगट होता है। दुनिया में कुछ भी छूटे छूट जाने देना, कथा का त्याग मत करना। शास्त्रों के सूत्र संत की कृपा से जल्दी ह्रदय में उतरकर आचरण बन जाते हैं। 
रसिक बनना है तो भैया संतों के चरणों में बैठना आना चाहिए। संत सत तक पहुंचा देता है। उर ( ह्रदय ) के मैल को संत कृपा करके दूर कर देते हैं। भाव भी संत की कृपा से प्रगट होता है। सत के आश्रय के साथ-साथ संत आश्रय और हो जाये तो कल्याण होते देर ना लगेगी। 

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