Wednesday 22 November 2017

कहां मिलेंगे परमात्मा..

मार्गदर्शक चिंतन-

दीन दुखियों की सेवा करो और पड़ोसियों से प्रेम, ताकि आपको परमात्मा को ढूँढने कहीं दूर न जाना पड़े। यह अनमोल वचन हमें बहुत कुछ सन्देश दे जाते हैं बशर्ते हम समझने का प्रयास करें। हमारे जीवन की विचित्रिता तो देखिये ! हम तीर्थ स्नान के लिए कोसों दूर जाते हैं और पड़ोस का कोई दुखियारा केवल इस कारण मर गया कि उसे एक घूँट जल की न मिल सकी।
हम बड़े-बड़े भंडारे लगाने मीलों दूर जाते हैं और मुहल्लों के कई किशोर पढने- लिखने की उम्र में सिर्फ इसलिए अमानवीय व्यवहार सहकर भी रात- दिन मजदूरी करते हैं ताकि उनके परिवार को कम से कम एक वक्त तो भर पेट भोजन मिल सके।
काश ! अब भी इस समाज में कोई एकनाथ और नामदेव जैसे चैतन्य पुरुष प्रकट होते, जिन्हें पशु में ही पशुपति नाथ और कुत्ते में ही कुल देव के दर्शन हो गये।

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