मार्गदर्शक चिंतन-
धन तो सभी कमाते हैं मगर जो लोग धन के अर्जन में पवित्रता, धन के रक्षण में अनासक्ति, उपयोग में संयम और विवेक रखते हैं। शास्त्रों की दृष्टि में उन्ही का धनार्जन सार्थक माना गया है।
अगर धन कमाने में नैतिकता और पवित्रता का ध्यान रखा जाता है तो फिर सच समझना यह आपके जीवन को कभी भी अनैतिक नहीं होने देगा। इसी प्रकार अगर कमाए गये धन में आसक्ति भाव छोडकर उसका रक्षण किया जाए तो समझ लेना फिर आपकी कीर्ति और यश को फैलने से रोकना किसी के भी सामर्थ्य में नहीं।
साथ ही धन का उपयोग यदि विवेकपूर्ण संयम से किया जाए तो फिर निश्चित ही आपका धन ही सार्थक नहीं हो जाता अपितु सम्पूर्ण जीवन भी सार्थक हो जाता है।
No comments:
Post a Comment