Tuesday 7 November 2017

कैसा हो उपहार..

मार्गदर्शक चिंतन-

मूल्य उपहार का नहीं उसकी उपयोगिता का होता है। जिस प्रकार एक प्यासे व्यक्ति के लिए स्वर्ण अलंकारों और एक भूखे व्यक्ति के लिए स्वर्ण पात्रों का तब तक कोई मूल्य नहीं, जब तक उन्हें पानी और भोजन की प्राप्ति न हो जाए।
यह बात मायने नहीं रखती कि आपने सामने वाले को क्या दिया ? अपितु यह बात मायने रखती है कि वह वस्तु उसके किस काम आई। किसी गरीब बच्चे को किताब देने से ज्यादा श्रेष्ठ है, उसे इस काबिल बनाने का प्रयास किया जाए कि वह उस किताब को पढ़ भी सके।
किसी अंधे को लाठी पकडा देने से श्रेष्ठ है, वह उन हाथों का दर्शन कर सके जिसने उसे लाठी पकड़वानी चाही। अतः उपहार मूल्यवान ही हो यह जरुरी नहीं मगर उपयोगी हो यह जरुरी है। याद रखना निर्मल भाव के आगे किसी मूल्य की कोई कीमत भी नहीं।

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