Sunday 12 November 2017

क्या है बोलने से ज्यादा सुनने का लाभ..

मार्गदर्शक चिंतन-

वक्ता तो हर कोई बनना चाहता है मगर श्रोता कोई भी नहीं क्योंकि यहाँ पर हर आदमी दूसरों को सुनाना ज्यादा पसंद करता है बजाय खुद सुनने के। एक अच्छा वक्ता बनना जितना श्रेष्ठ है, एक अच्छा श्रोता बनना भी उससे भी श्रेष्ठ। 
एक अच्छे श्रोता होने का अर्थ है अपने विवेक के बल पर यह तय करने की क्षमता रखना कि मेरे स्वयं के लिए कौन सी बात सुननी हितकर है और कौन सी अहितकर ? केवल बोलने की सामर्थ्य रखना ही नहीं अपितु सुनने की सामर्थ्य रखना भी एक कला है।
केवल सुना जाए यही श्रोता का लक्षण नहीं है अपितु क्या सुना जाए ? और उसमे से कितना चुना जाए ? यही एक श्रेष्ठ श्रोता का लक्षण है। एक अच्छा वक्ता होने के लिए साधक का बहुश्रुत होना बहुत जरुरी है।

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