कौन हैं शिव जी के माता
पिता?
शकंर जी की माता श्री दुर्गा देवी (अष्टंगी देवी) है तथा पिता सदाशिव अर्थात् “काल ब्रह्म” है।
त्रिदेवों में से एक देव हैं शिव, भगवान शिव को देवों के देव महादेव भी कहा जाता है। भगवान शिव को कई और नामों से पुकारा जाता है जैसे- महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ इत्यादि। तंत्र साधना में भगवान शिव को भैरव के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं भगवान शिव, वेद में इन्हें रुद्र के नाम से भी जाना जाता है।
शिव इंसान की चेतना के अन्तर्यामी हैं यानी इंसान के मन की बात पढ़़ने वाले हैं। इनकी अर्धांग्नि यानि देवी शक्ति को माता पार्वती के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव के दो पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं और एक पुत्री अशोक सुंदरी भी हैं। शिव जी आपने अधिकत्तइर योगी या ध्याान की मुद्रा में ही देखा होगा। लेकिन उनकी पूजा शिवलिंग और मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव जी के गले में हमेशा नाग देवता विराजमान रहते हैं और इनके हाथों में डमरू और त्रिशूल दिखाई देता हैं। भगवान सदाशिव परम ब्रह्म है। अर्वाचीन और प्राचीन विद्वान इन्हीं को ईश्वर कहते हैं।
अकेले
रहकर अपनी इच्छाम से सभी ओर
विचरण करने वाले सदाशिव ने
अपने शरीर से देवी शक्ति की
सृष्टि की,
जो
उनके अपने अंग से कभी अलग होने
वाली नहीं थी.देवी
शक्ति को पार्वती के रूप में
जाना गया और भगवान शिव को
अर्धनारिश्वबर के रूप में।
वहीं देवी शक्ति को प्रकृति,
गुणवती
माया,
बुद्धितत्व
की जननी तथा विकार रहित माना
गया.श्रीमद्
देवी महापुराण के मुताबिक,
भगवान
शिव के पिता के लिए भी एक कथा
है। देवी महापुराण के मुताबिक,
एक
बार जब नारदजी ने अपने पिता
ब्रह्माजी से सवाल किया कि
इस सृष्टि का निर्माण किसने
किया?
आपने,
भगवान
विष्णु ने या फिर भगवान शिव
ने?
आप
तीनों को किसने जन्म दिया है
यानी आपके तीनों के माता-पिता
कौन हैं?तब
ब्रह्मा जी ने नारदजी से
त्रिदेवों के जन्म की गाथा
का वर्णन करते हुए कहा कि देवी
दुर्गा और शिव स्वरुप ब्रह्मा
के योग से ब्रह्मा,
विष्णु
और महेश की उत्पत्ति हुई है।यानि
प्रकृति स्वरुप दुर्गा ही
माता हैं और ब्रह्म यानि
काल-सदाशिव
पिता हैं।
एक बार श्री ब्रह्मा जी और श्री विष्णु जी का इस बात पर झगड़ा हो गया कि ब्रह्मा जी ने कहा मैं तेरा पिता हूँ क्योंकि यह सृष्टिी मुझसे उत्पन्न हुई है, मैं प्रजापिता हूँ। इस पर विष्णु जी ने कहा कि मैं तेरा पिता हूँ, तू मेरी नाभि कमल से उत्पन्न हुआ है।
एक बार श्री ब्रह्मा जी और श्री विष्णु जी का इस बात पर झगड़ा हो गया कि ब्रह्मा जी ने कहा मैं तेरा पिता हूँ क्योंकि यह सृष्टिी मुझसे उत्पन्न हुई है, मैं प्रजापिता हूँ। इस पर विष्णु जी ने कहा कि मैं तेरा पिता हूँ, तू मेरी नाभि कमल से उत्पन्न हुआ है।
सदाशिव
ने विष्णु जी और ब्रह्मा जी
के बीच आकर कहा,
हे
पुत्रों!
मैंने
तुमको जगत की उत्पत्ति और
स्थिति रूपी दो कार्य दिए हैं,
इसी
प्रकार मैंने शंकर और रूद्र
को दो कार्य संहार और तिरोगति
दिए हैं,
मुझे
वेदों में ब्रह्म कहा है.
मेरे
पाँच मुख हैं,
एक
मुख से अकार (अ),
दूसरे
मुख से उकार (उ),
तीसरे
मुख से मुकार (म)...........................
, चौथे
मुख से बिन्दु (.)
तथा
पाँचवे मुख से नाद (शब्द)
प्रकट
हुए हैं,
उन्हीं
पाँच अववयों से एकीभूत होकर
एक अक्षर ओम् (ऊँ)
बना
है,
यह
मेरा मूल मन्त्र है। उपरोक्त
शिव महापुराण के प्रकरण से
सिद्ध हुआ कि श्री शकंर जी की
माता श्री दुर्गा देवी (अष्टंगी
देवी)
है
तथा पिता सदाशिव अर्थात् “काल
ब्रह्म” है।
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