वैवाहिक
रस्म रिवाज ~
अंधविश्वास
या विज्ञान
बुरी
शक्तियों के प्रभाव को रोकते
हैं भारतीय शादियों के रस्म-रिवाज।
भारत परंपराअों का देश है यहां
कई तरह के रीति-रिवाज
निभाए जाते है। चाहें आज जमाना
कितना भी बदल गया हो,
पर
कुछ रस्म-रिवाज
आज भी वैसे के वैसे ही चले आ
रहें हैं। भारतीय परंपरा में
शादी को एक बहुत ही शुभ अवसर
माना जाता है। इसलिए शादी के
उत्सव में बुरी शक्तियों के
प्रभाव को रोकने के लिए कई
रस्में निभाई जाती है। कई लोग
ऐसा मानते हैं कि ये रस्में
केवल अंधविश्वास हैं परंतु
आपको यह जानकार हैरानी होगी
कि इनमें से कई रस्मों के पीछे
वैज्ञानिक कारण भी है। जैसे-जैसे
वैज्ञानिक इन पारंपरिक रस्मों
की गहराई में गए उन्होंने देखा
कि इन रस्मों के साथ तर्क और
विज्ञान जुड़े हुए हैं। भारतीय
शादियों में निभाई जाने वाली
इन रस्मों का उद्देश्य शरीर,
दिमाग
और आत्मा के बीच पवित्र संबंध
स्थापित करना है।
मेहंदी
लगाना :
भारतीय
शादियों में 'मेहंदी
की रात'
शादी
के पहले की सबसे महत्वपूर्ण
रस्मों में से एक है। यह केवल
एक मजेदार रस्म ही नहीं है
बल्कि इसका सांस्कृतिक महत्व
भी बहुत गहरा है। मेहंदी में
एंटीसेप्टिक गुण होते हैं।
यह ठंडक प्रदान करने का काम
करती है,
जो
वर वधू को तनाव,
सिरदर्द
और बुखार से आराम दिलाता है।
यह नाखूनों की वृद्धि में भी
सहायक होता है। मेंहदी कई
प्रकार के वायरल और फंगल
इन्फेक्शन से भी रक्षा करती
है।
हल्दी
लगाना :
पारंपरिक
रूप से हल्दी का उपयोग वर वधू
के चेहरे पर प्राकृतिक निखार
लाने के लिए किया जाता है।
इसके पीछे एक अन्य पारंपरिक
कारण वर वधू को बुरी नज़र से
बचाना होता है। यदि इस रस्म
के पीछे वैज्ञानिक कारण की
बात करें तो हल्दी को चमत्कारिक
जड़ी-बूटी
कहा जाता है क्योंकि इसमें
बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं
और इस प्रकार इस पूरी प्रक्रिया
में शरीर को हल्दी का उत्तम
औषधीय लाभ मिलता है। हल्दी
त्वचा के बैक्टीरिया को नष्ट
कर देती है तथा वर वधू पर निखार
लाती है।
चूड़ियां
पहनना :
भारतीय
महिलाएं हाथों में चूड़ियां
पहनती हैं। कलाईयों में कई
एक्युप्रेशर पॉइंट्स होते
हैं। चूड़ी पहनने पर इन पॉइंट्स
पर दबाव पड़ता है जो आपको स्वस्थ
रखने में सहायक होता है। चूड़ियों
और आपकी त्वचा के बीच होने
वाला घर्षण होता है और उसमें
एक प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न
होती है,
यह
ऊर्जा शरीर के रक्त संचार को
नियंत्रित करती है। साथ ही
ढेर सारी चूड़ियां होने की
वजह से वो ऊर्जा बाहर निकलने
के बजाए शरीर के अंदर चली जाती
है।
मांग
में सिन्दूर भरना :
हिंदू
स्त्री के लिए शादीशुदा होने
की निशानी होने के अलावा सिन्दूर
के कुछ स्वास्थ्य लाभ भी होते
हैं। इसमें हल्दी,
चूना,
कुछ
धातु और पारा होता है। जब वधू
की मांग में सिन्दूर भरा जाता
है तो पारा शरीर को ठंडा करता
है तथा शरीर को आराम महसूस
होता है। इससे उनमें यौन इच्छा
भी उत्पन्न होती है। और यही
कारण है कि विधवा या कुंआरी
स्त्रियों को सिन्दूर लगाने
की अनुमति नहीं है।
बिछुए
पहनना :
आपने
अक्सर ही हिंदू दुल्हनों को
पैर की दूसरी उंगली में रिंग
पहने हुए देखा होगा।इसके पीछे
भी दो वैज्ञानिक कारण हैं।
पहला यह कि पैर की दूसरी उंगली
में एक विशेष नस होती है जो
गर्भाशय से गुज़रती है तथा हृदय
तक जाती है। बिछुए गर्भाशय
को मज़बूत बनाते हैं तथा मासिक
धर्म के चक्र को नियमित करते
हैं। दूसरा,
ये
बिछुए चांदी के बने होते हैं,
चांदी
पृथ्वी से ऊर्जा को ग्रहण करती
है और उसका संचार महिला के
शरीर में करती है।
पवित्र
अग्नि :
वर
वधू जिस पवित्र अग्नि के चारों
ओर अपने वचन लेते हैं उसका भी
विशेष महत्व है। अग्नि आसपास
के वातावरण को शुद्ध करती है।
यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर
करती है व सकारात्मकता फैलाती
है। जब लकडियाँ,
घी,
चावल
तथा अन्य वस्तुएं इसमें डाली
जाती हैं तो उस शुद्ध वातावरण
में जो भी लोग उपस्थित होते
हैं उनके स्वास्थ्य पर इसका
बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है,
विशेष
रूप से उस जोड़े पर जो इसके सबसे
अधिक नज़दीक होते हैं।
कान
छिदवाने की परम्परा :
भारत
में लगभग सभी धर्मों में कान
छिदवाने की परम्परा है। माना
जाता है कि इससे सोचने की शक्ति
बढ़ती है। जबकि डॉक्टरों का
मानना है कि इससे बोली अच्छी
होती है और कानों से होकर दिमाग
तक जाने वाली नस का रक्त संचार
नियंत्रित रहता है।
वर-वधु
पर चावल छिड़कना :
वर-वधु
पर चावल छिड़कने का रिवाज काफी
पुराना है। माना जाता है कि
चावल को नए विवाहित जोड़े पर
फेंकना बहुत शुभ होता है,
इससे
उन दोनों का दांपत्य जीवन
बहुत सुखी रहता है और बुरी
शक्तियां उनसे दूर रहती है।
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