Saturday 25 February 2017

जानिए सूर्यदेव की प्रकट कथा..

सूर्य देव की जन्म कथा 
सूर्य देव हिन्दू धर्म के देवता हैं। सूर्य देव का वर्णन वेदों और पुराणों में भी किया गया है। सूर्य देव का वर्णन एक प्रत्यक्ष देव के रूप में कई जगह किया गया है। भगवान सूर्यदेव को ही जगत की उत्पत्ति तथा अंत का कारण का कारण माना जाता है। शास्त्रों में सूर्य के बारे में विस्तार से बताया गया है।
एक कथा के अनुसार युद्ध में हारे हुए देवताओं की रक्षा के लिए प्रजापति दक्ष की कन्या अदिति ने सूर्य से उनके पुत्र रूप में जन्म लेने की प्रार्थना की। तब सूर्य देव ने प्रकट होकर अपने एक अंश को उनके गर्भ से जन्म लेने की बात कही। कुछ समय बीत जाने के बाद अदिति के गर्भ से सूर्य देव का जन्म हुआ। उन्होंने दैत्यों से देवताओं की रक्षा की। सूर्य के इस रूप को मार्तण्ड नाम से जाना जाता है।
सूर्य देव के मंत्र 
सूर्य देव का सबसे आसान मंत्र है "ऊं सूर्याय नम: "। इस मंत्र का जाप प्रात: काल सूर्य प्रणाम और सूर्य को जल अर्पित करते समय करना चाहिए। साथ ही इच्छापूर्ति और पुत्र प्राप्ति के लिए जातक को रोज प्रातः उठकर इस मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
सूर्य देव का स्वरूप 

सूर्य देव का निवास स्थान आदित्य लोक है। इनका वाहन सात घोड़ों वाला रथ है। इनके चार हाथ हैं जिनमें से दो हाथों में इन्होंने पद्म पकड़ा हुआ है तथा दो अन्य हाथ अभय और वरमुद्रा में हैं।

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