मार्गदर्शक चिंतन-
बिना परिश्रम किए कोई भी सफल नहीं हो सकता। आज का आदमी नाम तो चाहता है पर बिना काम किए। आदमी सोचता तो बहुत पर असफल हो जाने के डर से और मानसिक अकर्मण्यता के कारण वह कोई ठोस योजना नहीं बना पाता।
गीता में श्री कृष्ण यही कहते हैं कि अपने भाग्य से तुम्हें स्वयं ही लड़ना होगा। पुरुषार्थ के दम पर प्रारब्ध को बदलना होगा। जो आदमी अपने अंदर से ही असफल है वह सफल कैसे होगा ? ठोकरों से घवड़ाओ मत, वो तुम्हें गिराकर आगे बढ़ने के लिए तैयार कर रही हैं।
"जो
मुस्कुरा रहा है,
उसे
दर्द ने पाला होगा.,जो
चल रहा है,
उसके
पाँव में छाला होगा,बिना
संघर्ष के इन्सान चमक नही
सकता,जो
जलेगा उसी दिये में तो उजाला
होगा..
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