
ज्ञानी इसलिए हर स्थिति में प्रसन्न रहता है कि वो जानता है जो मुझे मिला, वह कभी मेरा था ही नहीं और जो कुछ मुझसे छूट रहा है, वह भी मेरा नहीं है। परिवर्तन ही दुनिया का शाश्वत सत्य है।
संसारी इसलिए रोता है, उसकी मान्यता में जो कुछ उसे मिला है उसी का था और उसी के दम पर मिला है। जो कुछ छूट रहा है सदा सर्वदा यह उस पर अपना अधिकार मान कर बैठा है। बस यही अशांत रहने का कारण है। मूढ़ता में नहीं ज्ञान में जियो ताकि आप हर स्थिति में प्रसन्न रह सकें।
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