जानिए क्या कहते हैं हमारे वेद..वेद की आज्ञा उल्लघंन से क्या होते हैं भयंकर परिणाम..
जानिए
वेद की आज्ञाओं के उलंघन का
कितना भयंकर परिणाम हो सकता
है ? ..
??? ?पहली
आज्ञा : ?अक्षैर्मा
दिव्य:
(ऋ
10/34/13) ? अर्थात्
"जुआ
मत खेलो ।"
इस
आज्ञा का उलंघन हुआ । इस आज्ञा
का उलंघन धर्मराज कहे जाने
वाले युधिष्टर ने किया । ? परिणाम
:
एक
स्त्री का भरी सभा में अपमान
। महाभारत जैसा भयंकर युद्ध
जिसमें लाखों,
करोड़ों
योद्धा और हज़ारों विद्वान
मारे गए । आर्यवर्त पतन की ओर
अग्रसर हुआ । ??? ? दूसरी
आज्ञा : ? मा
नो निद्रा ईशत मोत जल्पिः (ऋ
8/48/14) ? अर्थात्
"आलस्य,
प्रमाद
और बकवास हम पर शासन न करें ।"
लेकिन
इस आज्ञा का भी उलंघन हुआ ।
महाभारत के कुछ समय बाद भारत
के राजा आलस्य प्रमाद में डूब
गये । ? परिणाम
:
विदेशियों
के आक्रमण । ??? ? तीसरी
आज्ञा : ? सं
गच्छध्वं सं वद्ध्वम (ऋ
10/191/2) ? अर्थात्
"मिलकर
चलो और मिलकर बोलो ।"
वेद
की इस आज्ञा का भी उलंघन हुआ
। जब विदेशियों के आक्रमण हुए
तो देश के राजा मिलकर नहीं चले
। बल्कि कुछ ने आक्रमणकारियों
का ही सहयोग किया । ? परिणाम
:
लाखों
लोगों का कत्ल,
लाखों
स्त्रियों के साथ दुराचार,
अपार
धन-धान्य
की लूटपाट,
गुलामी
। ??? ? चौथी
आज्ञा : ? कृतं
मे दक्षिणे हस्ते जयो में सव्य
आहितः (अथर्व
7/50/8) ? अर्थात्
"मेरे
दाएं हाथ में कर्म है और बाएं
हाथ में विजय ।"
वेद
की इस आज्ञा का उलंघन हुआ ।
लोगों ने कर्म को छोड़कर ग्रहों
फलित ज्योतिष आदि पर आश्रय
पाया । ? परिणाम
:
कर्महीनता,
भाग्य
के भरोसे रहकर आक्रान्ताओं
को मुँहतोड़ जवाब न देना ।
धन-धान्य
का अपव्यय,
मनोबल
की कमी और मानसिक दरिद्रता
। ??? ? पाँचवीं
आज्ञा : ? उतिष्ठत
सं नह्यध्वमुदारा:
केतुभिः
सह । सर्पा
इतरजना रक्षांस्य मित्राननु
धावत ।। (अथर्व
11/10/1) ? अर्थात्
"हे
वीर योद्धाओ !
आप
अपने झण्डे को लेकर उठ खड़े
हो और कमर कसकर तैयार हो जाओ
। हे सर्प के समान क्रुद्ध
रक्षाकारी विशिष्ट पुरुषो
!
अपने
शत्रुओं पर धावा बोल दो ।"
वेद
की इस आज्ञा का भी उलंघन हुआ
। जब लोगों के बीच बुद्ध ओर
जैन मत के मिथ्या अहिंसावाद
का प्रचार हुआ । लोग आक्रमणकारियों
को मुँहतोड़ जवाब देने की बजाय
मिथ्या अहिंसावाद को मुख्य
मानने लगे । ? परिणाम
:
अशोक
जैसे महान योद्धा का युद्ध न
लड़ना । विदेशियों के द्वारा
इसका फायदा उठाकर भारत पर
आक्रमण । ??? ? छठी
आज्ञा : ? मिथो
विघ्राना उप यन्तु मृत्युम
(अथर्व
6/32/3) ? अर्थात्
"परस्पर
लड़ने वाले मृत्यु का ग्रास
बनते हैं और नष्ट-भ्रष्ट
हो जाते हैं ।"
वेद
की इस आज्ञा का उलंघन हुआ
। ? परिणाम
:
भारत
के योद्धा आपस में ही लड़-लड़कर
मर गये और विदेशियों ने इसका
फायदा उठाया । ??? ? सातवीं
आज्ञा : ? न
तस्य प्रतिमा अस्ति ? अर्थात्
"ईश्वर
का कोई प्रतिमान नहीं है ।"
लेकिन
इस आज्ञा का उलंघन हुआ और परिणाम
आपके समक्ष है । ? परिणाम
:
ईश्वर
के सत्य स्वरुप को छोड़कर
भिन्न स्वरुप की उपासना और
सत्य धर्म को भूला देना ।
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