Sunday 24 December 2017

कैसे होती है भगवत कृपा..

मार्गदर्शक चिंतन-

कुछ चीजें हमें अच्छी लगती हैं और कुछ चीजें हमारे लिए अच्छी होती हैं। यह जरुरी नहीं कि जो चीजें हमें अच्छी लगें वो हमारे लिए भी अच्छी हों और जो चीजें हमारे लिए अच्छी हों वो हमें अच्छी भी लगें।
बहुत प्रयत्न करने के बावजूद भी यदि कोई काम न बन सके तो समझ लेना कि प्रभु की नज़रों में वह जरुरी नहीं, अन्यथा प्रयत्न करने वाले को यह प्रकृति पुरुष्कृत अवश्य करती है। जिस प्रकार एक माँ अपने बीमार बालक के लिए उसके मना करने व चीखने चिल्लाने के बावजूद भी जबरदस्ती उसके आरोग्य वर्द्धन के लिए कडवी दवा का घूँट पिला देती है।
वह ये नहीं देखती कि इसे क्या अच्छा लगता है अपितु यह देखती है कि इसके लिए क्या अच्छा होता है। ठीक इसी प्रकार ईश्वर वो नहीं देते जो हमें अच्छा लगता है अपितु वो देते हैं जो हमारे लिए अच्छा होता है।

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