मार्गदर्शक चिंतन-
? मन
को जीत पाना थोडा कठिन तो है
पर मुश्किल नही। बिना मन को
जीते जीवन में शांति सम्भव
नहीं है। अशांति का कारण हमारी
असीमित इच्छाएं ही हैं और इसके
मूल में हमारा मन ही हैं। दूसरा
व्यक्ति हमें 5
प्रतिशत
ही कष्ट दे सकता है,
95 प्रतिशत
हम खुद के द्वारा दुःख प्राप्त
करते हैं।
? जिसने
मन को साध लिया उसे किसी और को
साधने की जरुरत नहीं है। जिसने
स्वयं को जान लिया उसे किसी
और को जानने की इच्छा नहीं
रहती,
जिसने
मन को जीत लिया उसे किसी और
को जीतने की जरुरत नहीं है
।
? आज
छोटी-छोटी
बातों पर घर में अशांति व क्लेश
हो रहे हैं। उसका समाधान आपके
स्वयं के सिवा कोई नहीं जानता।
अपने मन को थोडा बड़ा और मजबूत
बनाओ। जिस दिन विवक के द्वारा
आपने मन को साध लिया उस दिन
समझ आ जायेगा कि हार-जीत
कुछ नहीं होती।
!!
मन
के हारे हार है और मन के जीते
जीत ॥
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